मिर्ज़ापुर में दरोगा का दबदबा , न्यायलय के आदेशों का पालन नहीं , जमीन से जुड़े केस का है मामला 

मिर्ज़ापुर में दरोगा का दबदबा , न्यायलय के आदेशों का पालन नहीं , जमीन से जुड़े केस का है मामला

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर में इस वक्त एक ऐसा मामला सामने आया है जो योगी सरकार के सशक्त कानून के दावे को खोखला साबित करने का डंका पीट रहा है। जी हां सही पढ़ा आपने प्रदेश में कानून-व्यवस्था को सशक्त करने में योगी सरकार के दावे पर एक बार फिर से सवालिया निशान लग गया है।

मीरजापुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जो सरकार के दावों को खोखला साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। दरोगा शैलेश राय, जिन पर पहले से ही कई गंभीर आरोप लगे हैं, अब न सिर्फ कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर रहे हैं । दरोगा का आतंक इस कदर है कि वह घर पर चढ़कर खुलेआम धमकी देने से भी नहीं चूकता। दरोगा शैलेश राय जो पहले से ही कई गंभीर आरोपों में घिरे हैं।जमीन कब्जा करने के एक मामले में,पीड़ित ने कोर्ट का सरण लिया जहा कोर्ट ने मामले की जांच करते हुए FIR लिखने का शख्त आदेश दिया, कोर्ट के आदेश पर आरोपी दारोगा सफाई देते फिर रहे हैं। राय पर रंगदारी व माफिया गिरी का कई आरोप लगे है।

आइए जानते है की क्या है पूरा मामला

योगी सरकार में कानून व्यवस्था की सख्त हिदायत के बावजूद, पुलिस विभाग के कुछ कर्मचारी अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए कानून का मजाक उड़ाने में लगे हुए हैं। इस मौजूदा वक्त में मीरजापुर के जिगना थाना प्रभारी शैलेश राय इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैं,जहा कोर्ट ने एसआई सुभाष यादव थाना जिगना व पांच अज्ञात पुलिस बल थाना जिगना जनपद मीरजापुर,बसन्ती देवी पत्नी राम शिरोमणि
दया सागर पुत्रगण रामशिरोमणि समस्त कोई लोगो पर अन्य कोई धारा मे एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी की है। यह आदेश उस वक्त आया, जब पीड़ित प्रभा शंकर दुबे ने कोर्ट के समक्ष वाद दायर किया। कोर्ट के इस आदेश से भ्रष्ट पुलिस महकमे में हलचल मच गई , मानो जैसे भ्रष्ट पुलिस कर्मियों की सांसे रुक गई हो या जैसे किसी सियार के शेर बनने का सपना टूट गया हो। राय पर लगाए गए आरोपों में शामिल है
विवादित जमीन को अवैध तरीके से कब्जा करने और पीड़ित सभा शंकर दुबे के घर में घुसकर तोड़फोड़ की। दुबे ने न्यायालय में जो प्रार्थना पत्र दायर किया, उसमें स्पष्ट आरोप लगाया गया है कि राय और उनके सहयोगियों ने महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया और उन्हें गालियाँ दीं। सरकारी गाड़ी में आरोपियों को बैठा कर घूमाना , घर में घुस कर न्यायालय में चल रहे जमीनी मामले पर ट्रैक्टर से खेत को जोतवा देने का कानून के दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप है। जहां साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। सीजेएम कोर्ट ने इस मामले में जिगना थाना प्रभारी समेत 6 लोगों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। फोर्स सहित पीड़ित के घर में घुसकर मारपीट व तोड़फोड़ करने का आरोप है।

नए कानून के तहत मिर्जापुर का दबंग पुलिस वालो पर पहला मुकदमा

पीड़ित सभा शंकर दुबे का आरोप है कि थाना प्रभारी ने घर में घुसकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। क्षेत्रीय थाना प्रभारी के अत्याचार पर सभा शंकर दुबे के अधिवक्ता विष्णु सागर पांडेय ने न्यायालय में वाद दाखिल किया। थाना प्रभारी सहित अन्य पर एफआईआर दर्ज कर विवेचना कराए जाने की मांग की थी।
जिगना थाना क्षेत्र के हरगढ़ भौरूपुर निवासी सभा शंकर दुबे के खेत का एक मामला जहां न्यायालय में कैंसिलेशन का विचाराधीन है। बिना किसी आदेश के जिगना थाना प्रभारी विपक्षी के साथ मिलीभगत करते हुए खेत को जोतवा दिया। इसकी शिकायत पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों से की गई। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं किया गया। इसके बाद सीजेएम कोर्ट में वाद दाखिल किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने पीड़ित के प्रार्थना पर कार्रवाई करते हुए आदेश की तिथि से 3 दिन में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

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अधिवक्ता विष्णु सागर पांडेय ने बताया कि नए कानून बीएनएस में न्यायालय ने पुलिस के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। न्यायालय में बैनामा कैंसिलेशन का मुकदमा विचाराधीन होने के बाद भी बिना किसी आदेश और राजस्व टीम के बिना थाना प्रभारी ने जबरदस्ती की। हमारे मुवक्किल के विपक्षी से मिलकर खेत को जोतवाकर कब्जा करा दिया। पीड़ित की शिकायत पर उसके घर में घुसकर प्रताड़ित किया गया।
पीड़ित कई दिनों तक घर छोड़कर जान बचाता रहा। पुलिस महकमें के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। थक हार कर न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। सीजेएम संजीव त्रिपाठी ने आदेश देते हुए थाना प्रभारी, उप निरीक्षक सहित 6 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। यह जनपद में नए कानून बीएनएस में न्यायालय ने पुलिस के विरुद्ध पहले मुकदमे का आदेश दिया है।

*बड़ा सवाल क्या मुख्यमंत्री का आदेश हवा हवाई*

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था में सुधार के लिए सख्त निर्देश दिए थे, लेकिन शैलेश राय जैसे अधिकारियों ने उनके आदेशों की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि प्रशासन की सुधार की कोशिशें तब तक अधूरी रहेंगी, जब तक ऐसे भ्रष्ट और कदाचार में लिप्त अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। शैलेश राय की तैनाती ने साबित कर दिया है कि ‘भ्रष्टाचार का कीड़ा’ हर जगह गंदगी फैलाता है और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

**कोर्ट के आदेश पर जिगना थानेदार शैलेश राय की सफाई और सोशल मीडिया पर बयानबाजी – हकीकत या सिर्फ धुंआ,राय का: सच को छिपाने का प्रयास या सच्चाई से मुंह मोड़न*
मीरजापुर के जिगना थाना प्रभारी शैलेश राय एफआईआर दर्ज़ करने की बात कही गई है। कोर्ट का आदेश साफ-साफ कहता है कि जिगना SHO, जिनके पद पर मौजूदा समय में शैलेश राय काबिज हैं, के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। मगर सोशल मीडिया पर शैलेश राय का एक अलग ही अंदाज़ देखने को मिला, जहाँ उन्होंने यह दावा किया कि एफआईआर का आदेश उनके नहीं बल्कि किसी “शैलेंद्र राय” के खिलाफ है। अब, इस सफाई को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या यह मामला हकीकत में किसी और का है, या फिर शैलेश राय अपनी जिम्मेदारियों से भागने की कोशिश कर रहे हैं?
सोशल मीडिया पर शैलेश राय के बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उनका दावा है कि पहले “पीड़ित का आवेदन पढ़ लो”, जिससे यह समझ में आता है कि वे इस पूरे मामले को नकारने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई कोर्ट ने गलत व्यक्ति पर मुकदमा करने का आदेश दिया है, या फिर यह शैलेश राय की एक और चाल है अपनी गर्दन बचाने की? कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जिगना SHO के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए, और मौजूदा समय में इस पद पर कौन है, यह कोई रहस्य नहीं है। अगर शैलेश राय इस पद पर नहीं हैं, तो फिर यह बात वे सार्वजनिक तौर पर साफ क्यों नहीं करते?
अब जब कोर्ट ने एफआईआर दर्ज़ करने का आदेश दिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई में कानून अपना काम करेगा या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा। न्यायालय की सख्त टिप्पणी और आदेश के बाद भी अगर शैलेश राय यह मानने से इंकार कर रहे हैं कि यह मामला उनके खिलाफ है, तो यह कानूनी तौर पर एक गहरी चिंता का विषय है। आखिरकार, कोर्ट पर उंगली उठाना शैलेश राय की बुद्धिमता है या मूर्खता यह तो समय ही बताएगा।
कहावत है, “चोरों की अम्मा कब तक खैर मनाएगी?” और शायद यही शैलेश राय पर भी लागू होती है। अपने सफाई में जो भी उन्होंने कहा हो, कोर्ट का आदेश इस बात का सबूत है कि कानून का दायरा सब पर एक समान लागू होता है। जनता और न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मामले में सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले। आखिरकार, अगर इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो कानून का सम्मान समाज में कमज़ोर पड़ जाएगा और ऐसे विवादित अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते रहेंगे।

इस पूरे मामले में जो बात उभरकर सामने आती है, वह यह है कि जब तक न्यायपालिका और कानून अपनी शक्ति का सही तरीके से उपयोग नहीं करेंगे, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। अब देखना यह है कि शैलेश राय की “सफाई” और कोर्ट के आदेश में कौन भारी पड़ता है।

खबर लिखने तक न्यायलय के आदेश पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है ।

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