मिर्जापुर: पेट्रोल चोरी, वर्दी में क्या छिपे है दलाल, एसपी अभिनन्दन को भनक ही नहीं , एक पत्रकार ने पोल खोल डाली
स्वतंत्र पत्रकार चंदन दुबे
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शहर कोतवाली की दलाली आई सामने, एक पत्रकार ने पेट्रोल पंप के काले खेल को उजागर कर दिया।
Mirzapur : यूपी पुलिस के वर्दी के प्रति ईमान और निष्ठा को बेच देने वाली दलाली के खेल का तमाशा सामने आया है। कैसे वर्दी के आड़ में , राजनीतिक दबाव में दलाली के खेल को दिख रहे हैं दरोगा जी, उसकी तस्वीरें सामने आ रही हैं। ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसमें जनता के नेतृत्व करने वाले जिले के नामी नेता भी दिख रहे हैं, जो खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए बैठे हैं। पर जो रक्षक हैं, वे कैसे भक्षक बन रहे हैं, यह तस्वीर अपने आप में एक बानगी पेश करती है। वैसे तो यूपी में ऐसे पुलिस के दलालों के दलाली के तमाम कारनामों के तमाशे सोशल मीडिया पर दिख जाते हैं, पर ताजा मामला मिर्जापुर के वर्दी के दलालों की है, जो जनता के हितेषी बनने वाले सफेद पोश, काली सोच रखने वाले भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच है। मिर्जापुर जिले में पुलिस की दलाली का यह कोई नया माजरा नहीं है। ऐसे तमाम किस्से भ्रष्ट रवैया के देखे गए हैं, पर वही पेट्रोल चोरी और सीना जोरी के इस वायरल वीडियो के मामले में दलाली की कहानी सोशल मीडिया पर सामने आ रही है। वीडियो को वायरल करने वाले व्यक्ति पेशे से एक पत्रकार हैं, जिनके दावे ने यह साबित कर दिया कि वर्दी की दलाली मिर्जापुर में चरम सुख के अस्तर पे है। पर ताज्जुब तब होता है जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने की मुहिम के जमीन से हटाने के दावे को झूठा साबित करने का पक्का सबूत एक पत्रकार सामने ला देते है। बता दें कि योगी के उत्तम प्रदेश बनाने के न्यू रखने में संकल्पित यूट्यूब और अखबारों के माध्यम से पत्रकार ने भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया है, जिसमें वह हर वक्त तत्पर दिखते हैं।
!!आइए बताते चलते हैं कि मामला क्या है!!
मिर्जापुर में कानून की धज्जियां उड़ाने वाली खाकी वर्दी ने इस बार फिर दलाली के तमगा पाने की सुर्खियों में अपना हाथ आजमाया है। बताते चलें कि यह तमगा उन्हें एसपी और डीएम से नहीं, बल्कि कहां हासिल हुआ है यह बेस्ट अवार्ड दलाली का तमगा। बता दें कि जिला के एसपी और डीएम कार्यालय से महज 400 मीटर की दूरी पर रामबाग पेट्रोल पंप के कर्मचारियों पर पेट्रोल चोरी का आरोप लगाते हुए एक आम युवा नागरिक नीरज सोनकर ने पुलिस से न्याय की उम्मीद की थी, लेकिन उसे तो उल्टा मुजरिम बना दिया गया। संविधान को ताक पर रखकर पुलिस ने अपनी दलाली और भ्रष्टाचार का जो नाच दिखाया, वह किसी सर्कस से कम नहीं था। सारे सबूत देखने के बाद भी नीरज से वर्दी की गुंडई का रोब झाड़ दिया गया।
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26 सितंबर 2024 को सुबह लगभग 10:00 बजे रामबाग मोहल्ला स्थित पेट्रोल पंप पर बाइक में पेट्रोल कम भरने को लेकर हंगामा हुआ। आरोप है कि बाइक चालक को पंप वर्कर ने 100 रुपए में 19 रुपए का ही पेट्रोल दिया। कम तेल होने के शक पर बाइक चालक ने बाइक से बोतल में पेट्रोल निकालकर सेल्समैन को दिखाया। सेल्समैन ने बात समझने की जगह बाइक चालक को मारने की धमकी दी, जिस पर हंगामा हो गया। बाइक चालक नीरज सोनकर के द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी दी गई, और कुछ समय बाद पुलिस और जिला पूर्ति अधिकारी की टीम पेट्रोल पंप पर पहुंची। अधिकारियों ने मामले को डील किया। मौके पर स्थानीय लोगों ने कहा कि ग्राहक को मीटर रीडिंग शून्य न देखने का फायदा उठाकर सेल्समैन ने खेल कर दिया था। शहर कोतवाली क्षेत्र के रामबाग रोड स्थित राहुल ऑटोमोबाइल पेट्रोल पंप पर बाइक सवार और सेल्समैन में तेल कम देने पर झगड़ा हो गया। बाइक सवार ने बाइक में कम पेट्रोल भरने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। बाइक चालक हाथ में पेट्रोल से भरा बोतल लेकर हंगामा करने लगा, तो देखते ही सैकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। बाइक चालक ने इस दौरान पुलिस को सूचना दी। पुलिस व जिलापूर्ति अधिकारी और बाट माप अधिकारी के साथ मौके पर पहुंचकर हंगामा कर रहे बाइक चालक को पुलिस ने किसी तरह से शांत कराया। और यहीं पर पुलिस ने अपना खेल खेल दिया। पेट्रोल माफिया के आगे नतमस्तक हुई शहर कोतवाल ने पीड़ित का आवेदन दबाव में बदलवाया – योगी सरकार में न्याय की जगह अन्याय का नया अध्याय लिखा गया।
!! 26 सितंबर की दलाली की घटना साफ है पर पुलिस की दबंगई, योगी की बाप निकली !!
यूपी में योगी सरकार के कानून व्यवस्था के स्वच्छ निर्णय को देखा जाए, तो ईमानदारी की आड़ में मिर्जापुर की भ्रष्ट पुलिसिया रवैया प्राथमिकता में दो कदम आगे है। जहां पुरानी कहावतें हैं कि “वह तो तुम्हारा बाप निकला,” यहां मौजूदा हालात को देखते हुए यह बताने में किसी प्रकार का कोई गुरेज नहीं। **26 सितंबर** के दिन, पेट्रोल चोरी के हंगामे ने काले खेल के कारनामे पे कुछ समय के लिए पर्दा तो डाल दिया था, पर वह कहते हैं ना कि असलियत छुप नहीं सकती, बनावट के उसूलों से, कि खुशबू आ नहीं सकती, कभी कागज़ के फूलों से! ठीक ऐसा ही हुआ इस मामले में **28 सितंबर** को ट्विटर और व्हाट्सएप के ग्रुप पर एक पत्रकार द्वारा एक वीडियो और लेख प्रसारित किया गया। जहां वह दावे कर रहे हैं कि, पुलिस के द्वारा किस तरीके से सच्चाई को दबाने की कोशिश की गई है। पत्रकार ने अपने लिखित लेख में और वीडियो में बदले गए शिकायत की तस्वीर की ओर संकेत करते हुए बताया कि—
रामबाग के पेट्रोल पंप पर कम तेल देने का आरोप एक युवक के द्वारा लगा है, लेकिन असली कहानी तो उसके बाद शुरू होती है। जिस शिकायतकर्ता नीरज सोनकर ने तो तेल चोरी और पेट्रोल पंप कर्मियों के द्वारा गाली-गलौज की शिकायत की थी, उस शिकायती पत्र पर पुलिस इंचार्ज ने मामला पलट दिया। जांच के दौरान सोनकर के शिकायत पत्र को बदलवा दिया गया, जिसमें उनके द्वारा मारपीट और बदसलूकी की बात कही गई थी। आरोप है कि पेट्रोल पंप संगठन और मालिक और मैनेजर के कहने पर पुलिस इंचार्ज ने शिकायत पत्र को बदलवाकर एक नई तहरीर तैयार कराई और शिकायतकर्ता से हस्ताक्षर करवा लिए। अब सवाल यह है कि जब शिकायतकर्ता की शिकायत को ही दबा दिया जाए, तो न्याय कहां से मिलेगा? जांच के दौरान पेट्रोल पंप यूनियन के अध्यक्ष कांग्रेस नेता भगवती प्रसाद चौधरी और उनके सगे भाई मौजूद रहे, तो वहीं भाजपा के सभासद राजेश सोनकर भी दलाली की आग में रोटी सेंकने पहुंचे। वहीं डीएसओ और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन शिकायतकर्ता की बात को नजरअंदाज कर दिया गया। इस पूरी घटना ने स्पष्ट सवाल खड़ा किया है कि बिल्ली से दूध की रखवाली की उम्मीद करना धोखा है।
!!जब जिम्मेदार ही गुनहगार हों, तो उम्मीद किससे की जाए?!!
एक ओर आम जनता तेल की बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी और जांचकर्ता बंद कमरों में मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कवायद में जुटे हैं। पेट्रोल कम देना सिर्फ एक छोटा मामला नहीं है, बल्कि यह विश्वासघात का मुद्दा है, जो आम आदमी की जेब पर सीधा हमला करता है। क्या यही है न्याय की परिभाषा? इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—जब सिस्टम ही भ्रष्ट हो, तो बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? शिकायतकर्ता कहां जाए? प्रशासनिक प्रक्रियाओं का मजाक उड़ाने वाली यह घटना एक ऐसा आईना है, जिसमें सिस्टम की सच्चाई साफ नजर आती है।
एसपी अभिनंदन का दावा फेल: पत्रकार द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने इंसाफ की डगर पर मिर्जापुर में कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का दावा करने वाले एसपी को नींद से जगाने का काम किया है। इस घटना के बाद, शहर कोतवाली के क्रिया कलाप का एक वीडियो सामने आया है, जो एसपी के मजबूत और दमदार कानून के खोखलेपन को उजागर करता है। जहां उनके मजबूत कानून के कम भ्रष्ट पुलिसिया रवैये की करतूतें के दावे में पत्रकार के द्वारा साहस कर के प्रेषित लेख व वीडियो से स्पष्ट साबित किया है की, मिर्जापुर में वर्दी की आड़ में दलाली का खेल चल रहा है। जो कानून की मजबूती के दावे किए गए थे, वे सिर्फ़ ख्याली पुलाव धुन्ध साबित हो रहे हैं। क्या यही है योगी सरकार की भ्रष्टाचार मिटाने की मुहिम? यह सवाल अब आम जनता के मन में गूंज रहा है—जब जिम्मेदार ही गुनहगार हों, तो उम्मीद किससे की जाए?