Mirzapur News :- योगी के विधायक बने विघ्नहर्ता, कोतवाल बना महिषासुर, मां विंध्यवासिनी के दरबार में वृद्ध महिला को मिला न्याय

Mirzapur News :- योगी के विधायक बने विघ्नहर्ता, कोतवाल बना महिषासुर, मां विंध्यवासिनी के दरबार में वृद्ध महिला को मिला न्याय

विधायक से उलझा कोतवाल, 3 दिन से गरीब असहाय वृद्ध महिला को पढ़ रहा था कानून की पाठ

मिर्जापुर:विंध्याचल: आज की दुनिया में जब अंधविश्वास, भेदभाव और नकारात्मकता का बोलबाला है, तब देवी शक्ति की बात करना मानो एक चुनौती भरा काम बन गया है।कौन कहता है कि देवी शक्ति नहीं होती? देवी शक्ति है, इसीलिए तो वृद्ध महिला को न्याय मिला!विंध्याचल: जब बात शक्ति की होती है, तो देवी दुर्गा का नाम सर्वोपरि आता है। हाल ही में एक वृद्ध महिला के साथ हुए अन्याय ने इस बात को एक बार फिर से साबित कर दिया कि देवी शक्ति आज भी समाज में सक्रिय है। विंध्याचल: में जहां एक ओर नवरात्र के मेले में श्रद्धालु मां दुर्गा की आराधना और दर्शन करने दूर दराज अन्य प्रांतों से भक्ति में लीन होके मां के चरणो का दर्शन के लिए लालहित होते हुए पहुंचते हैं, वहीं दूसरी ओर एक वृद्ध महिला की संघर्ष की कहानी ने यह साबित कर दिया कि देवी शक्ति आज भी जीवित है। हाल ही में एक गरीब महिला को उसकी दुकान के सामने की गई ज्यादती के खिलाफ न्याय दिलाने में मां विंध्यवासिनी की कृपा ने अहम भूमिका निभाई।

विंध्याचल के नवरात्र मेले में जहां मां विंध्यवासिनी के भक्त नतमस्तक थे, वहीं एक गरीब वृद्ध महिला की रोज़ी-रोटी पर राक्षसी प्रवृत्ति के अंधे कानून के रखवाले ने ऐसा वार किया कि इंसाफ की देवी भी चौंक गई। विंध्याचल थानाध्यक्ष सी. पी. पांडेय ने ‘महिषासुर’ का रूप धारण कर, वृद्ध महिला की चाट-फुल्की की दुकान पर अपना दबदबा दिखाया। 

 

 कानून का पाठ, कोतवाल कि चोरी, कमजोर के लिए

नवरात्र के पावन दिनों में, जब पूरा विंध्याचल मां विंध्यवासिनी के जयकारों से गूंज रहा था, एक वृद्ध महिला की रोजी-रोटी पर पुलिसिया दादागीरी का कहर टूट पड़ा। महिला की छोटी-सी दुकान के सामने जबरन टेंट लगाकर उसकी दुकान को ताला जड़ दिया गया। थानाध्यक्ष साहब ने तो हद यह कर दी कि टेंट में बिजली भी उसी गरीब महिला के मीटर से चोरी करवा ली! संवैधानिक नियम, अधिकार, कानून सब दरकिनार कर कोतवाल साहब ने “जिसकी लाठी उसकी भैंस” वाला खेल खेला। तीन दिनों तक वृद्ध महिला को इंसाफ के नाम पर धक्के दिए गए, लेकिन उसकी सुनवाई पुलिस के कानों तक नहीं पहुंची।

 

 विधायक का हस्तक्षेप: गणेश के रूप में आए विघ्नहर्ता

           विधायक पंडित रत्नाकर मिश्रा की तस्वीर

जब नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा को यह बात पता चली, तो वे खुद ‘विघ्नहर्ता’ बनकर मौके पर पहुंचे। कहते हैं, “जहां सच्चाई होती है, वहां देवी का आशीर्वाद भी मिलता है।” महिला की हालत देखकर विधायक जी खुद को रोक नहीं पाए और सीधे एसपी से बात कर तुरंत टेंट हटवाने का आदेश दिया। कोतवाल साहब के कानों पर पहले तो जूं नहीं रेंगी, लेकिन जब मुख्यमंत्री से शिकायत की धमकी मिली, तो प्रशासन की मशीनरी जाग उठी। 

 

 “महिषासुर को पछाड़ने वाले गणेशजी”

 

महिषासुर बने कोतवाल और विघ्नहर्ता बने विधायक—यह दृश्य विंध्याचल में किसी पुराण की कथा सा प्रतीत हो रहा था। जनता कह रही थी, “अगर विधायक न होते, तो कोतवाल के दबाव में गरीब की दुकान ही दबकर रह जाती।” महिषासुर ने यहां कानून की आड़ में महिला की आजीविका छीन ली, लेकिन विधायक ने गणेश के रूप में विघ्न हरण कर गरीब को उसका अधिकार दिलाया।

 

न्याय की देवी का आशीर्वाद

 

इस पूरी घटना के बाद वृद्ध महिला को लगा कि शायद मां विंध्यवासिनी ने ही उसे न्याय दिलाने के लिए विधायक को भेजा। आखिरकार, तीन दिनों की थकान, असहाय गुहार और अपमान के बाद महिला को अपनी दुकान वापस मिल गई। यह घटना सरकारी मशीनरी की लापरवाही और संवैधानिक नियमों के प्रति अधिकारियों की उदासीनता का जीवंत उदाहरण है। 

 

“कानून की देवी भी राजनीतिक हस्तक्षेप पर निर्भर”

इस पूरे घटनाक्रम से एक बात साफ हो गई—कानून का पाठ सिर्फ किताबों में सही नहीं, बल्कि उसे अमल में लाने वाले भी सही होने चाहिए। विंध्याचल थानेदार ने गरीब की दुआओं और न्याय की गुहार को दबाने की कोशिश की, लेकिन विधायकी शक्ति के आगे उसकी दबंगई टिक नहीं पाई। विंध्याचल के इस प्रकरण ने दिखा दिया कि जब तक रसूखदार व्यक्ति आगे नहीं आता, गरीब की गुहार केवल दीवारों से टकराकर रह जाती है। कानून को जागने के लिए आना जरूरी था। विंध्यवासिनी के दरबार में वृद्ध महिला को न केवल न्याय मिला, बल्कि यह घटना एक तरह से ‘धन्य धन वृद्धि’ का आशीर्वाद भी थी, क्योंकि उसकी रोज़ी-रोटी का जरिया भगवान बनकर आए विघ्नहर्ता के रूप में विधायक के प्रयासों से बचा रहा।

“महिषासुर जैसे कानून के भक्षक चाहे कितने भी मजबूत क्यों न हों, जब जनता के सेवक जागते हैं, तो जनता का अधिकार छीनने वाले भी पीछे हट जाते हैं।द हैं।

 

मोदी की के मंसूबों फेल करता कोतवाल, विधायक के हस्तक्षेप से हुआ कमाल

अक्सर कहा जाता है, “कानून के हाथ लंबे होते हैं,” पर इस मामले में कानून के हाथ छोटे और स्वार्थी निकले। एक तरफ सरकार “वोकल फॉर लोकल” की दुहाई दे रही है, वहीं दूसरी ओर पुलिस गरीब के छोटे से धंधे पर ताला जड़ने में लगी है। मानो यही लोकतंत्र का नया स्वरूप हो! सरकार जनता से कहती है, “खुद का व्यवसाय करो,” लेकिन थानेदार साहब उसी व्यवसाय को दबंगई के बल पर बंद करवाते हैं।

विधायक की मौजूदगी में पुलिस का रुख तो बदल गया, पर क्या बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के एक आम आदमी को न्याय मिलता? सवाल यह है कि अगर विधायक ने हस्तक्षेप न किया होता तो क्या इस महिला की गुहार सुनी जाती?

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