मिर्ज़ापुर: भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिन्द पर लगा जमीन हथियाने का आरोप , उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर हुआ जाँच , क्या है जमीन से जुड़े मामले का सच ? , क्यो केशव प्रसाद मौर्य का हस्तक्षेप ?

मिर्ज़ापुर: भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिन्द पर लगा जमीन हथियाने का आरोप , उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर हुआ जाँच , क्या है जमीन से जुड़े मामले का सच ? , क्यो केशव प्रसाद मौर्य का हस्तक्षेप ?

स्वतंत्र पत्रकार चंदन दुबे

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मिर्जापुर से बड़ी खबर: पूर्व सांसद रमेश बिंद जमीन हथियाने का लगा आरोप —क्या प्राइवेट हॉस्पिटल पर चलेगा बुलडोजर ?

Mirzapur: कालीन भैया के फ़िल्मी कहानी से मिलता जुलता एक किस्सा ने मिर्जापुर में एक ऐसे नेता पर उंगली उठ रखी हैं जो पूर्व में अपने भाषण को लेकर विवाद में रहे है। जिसने अपनी राजनैतिक सफर में एक भी अपराधिक काम नहीं किया है । लेकिन एक भाषण ने उन्हे विवादों में रहने वाले नेता का एक बार फिर से राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है। भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिंद पर भू-माफिया की तरह काम करने और अवैध रूप से जमीन कब्जाने के गंभीर आरोप लगे हैं।

!!आइये बताते हैं की क्या हैं इस काले कारनामे के बेताज बादशाह का खेल!!

19 सितम्बर को मिर्जापुर के पीली कोठी पर उस समय हरकम मच गया,जब कटरा कोतवाली के बरौंधाकचरा पुलिस चौकी से कुछ दूर पर भारी भीड़ वहां इकट्ठा हुई एक तमाशा देखने के लिए, यह तमाशा बीजेपी के पूर्व सांसद वर्तमान में सपा के नेता के निजी अस्पताल के अवैध कब्जे को लेकर हुआ। बताते चलें कि :— जनपद की सियासत में हलचल मचाने वाली इस खबर ने पूर्व सांसद, पर भू-माफिया होने के आरोप और पूर्व के कई विवाद सत्ता से जुड़े होने पर सत्ता के दुरुपयोग का चर्चा भी जिले का विषय बन गया हैं । आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक रसूख का फायदा उठाते हुए जबरन जमीन कब्जा की और उस पर प्राइवेट हॉस्पिटल का निर्माण करा लिया।

!!सत्ता का नशा सिर चढ़कर बोला जमीन पर कब्जा और हॉस्पिटल का खेला!!

बरौधा कचार पीली कोठी मार्ग की इस जमीन की हेराफेरी व सत्ता के खेल? का खुलासे पर सवाल तब खड़ा हुआ जब स्थानीय बरकच्छा निवासी त्रिभुवन नाथ ने शिकायत दर्ज

कराई। उनका आरोप था कि 2007 में रमेश बिंद ने जो जमीन खरीदी थी, उसकी रजिस्ट्री बैनामा तो एक सीमित क्षेत्र के लिए थी, लेकिन कब्जा पूरे इलाके पर कर लिया गया। यहां तक कि कोर्ट ने 2008 में इस पर रोक भी लगाई थी, मगर सत्ता की ताकत के सामने क़ानून की हिम्मत कहां। पूरे जमीन पर कब्जा कर 100 बेड का अस्पताल खड़ा हो गया, जिसका नाम ज्योति हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर रखा गया।

!!रजिस्ट्री से जादे का कब्जा,आरोप के आधार पर नपाई का आदेश!!

शिकायत कर्ता ने इस नेता की राजनीति के चालें और जमीनी खेल में जिस भूमि की रजिस्ट्री 1276 वर्ग फीट की थी, वहां अब सेकड़ो बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल चल रहा है। क्या यह कब्जा नहीं तो और क्या है? जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के हस्तक्षेप के बाद राजस्व विभाग की टीम जांच के लिए पहुँची, तो इलाके में हलचल मच गई। शिकायतकर्ता ने सीधे उपमुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद 6 सदस्यीय टीम का गठन किया गया और मौके पर पैमाइश की गई।

अस्पताल के पैमाइस जांच आदेश
अस्पताल के पैमाइस जांच आदेश
विवादित भाजपा का पूर्व सांसद

!!न्याय की मांग करता शिकायत कर्ता!!
लेकिन, कहानी यहीं खत्म नहीं होती—शिकायतकर्ता का दावा है कि बिंद ने इस जमीन पर सत्ता के पावर का दूरप्रयोग कर के जमीन कब्जा किया है। संविधान के नियम के खिलाफ जाकर जिम्मेदार अधिकारियों ने भी गैर कानूनी तरीके से उनकी जमीन को कब्जा करवा दिया। जहां जिनको न्याय करना था वहां पर उन्होंने सरकारी नियमों के विपरीत जाकर गरीब के जमीन पर कब्जा करवा दिया।
100 बेड का ज्योति हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर चल रहा है। क्या ये हॉस्पिटल जनता की भलाई के लिए है या सिर्फ खुद के लिए पैसे कमाने का जरिया? जिसका नक्शा नजरिया भी जांच होना चाहिए की अस्पताल जनता की सेवा कम भ्रष्टाचार का अड्डा बना है ?

!!ज़मीन पर कब्ज़ा,बिना डिग्री के डॉक्टरी और हाथों में ‘जनेऊ’ की राजनीति!!

जब राजनीति में नेता अपने विवादित बयानों से सुर्खियां बटोरने लगते हैं, तो अक्सर उनके असली चेहरे छिपे रह जाते हैं। मिर्जापुर के रमेश बिंद, जो कभी ब्राह्मणों के शिखा और जनेऊ पर विवादित टिप्पणियों से खुद को चमकाते थे, आज —भू-माफिया के रूप में। पूर्व विधायक और सांसद रह चुके बिंद पर आरोप है कि गरीबों और निर्दोष लोगों की जमीन पर जबरन कब्ज़ा किया करवाया ।
रमेश बिंद ने खुद को “डॉक्टर” लिखकर जनता की सेवा का दावा किया, लेकिन उनकी असल सेवा जमीनों को कब्जाने में रही। “ऊंची दुकान, फीका पकवान” जैसी कहावत रमेश बिंद पर बखूबी फिट बैठती है। जहां एक ओर वो ब्राह्मणों पर टिप्पणी करके अपनी सियासी रोटी सेंकते रहे, वहीं जरूरत पड़ने पर ब्राह्मणों से वोट बैंक के लिए चरण स्पर्श करते हैं। दूसरी ओर वो खुद भू-माफिया निकले। सत्ता में रहते हुए अपने रसूख का इस्तेमाल कर बिंद ने सट्टा खेला । जहां पूर्व में भी कई शिकायतें है इनके उनके परिवार के सगे रिश्तेदारों पर की जहाँ विधायक सांसद का रुआब जमा कर जमीन कब्जा किया गया, जिसकी रिकॉर्डिंग अभी कुछ दिन पहले ही वायरल हैं जिसका मामला अभी भी चल रहा है। जहां पीड़ित का आरोप जान से मरने तक की भी धमकी दी गई है।

!! झूठा डिग्री का तमगा और आरोप सच्चे गुनाह के !!
रमेश बिंद का असली खेल अब खुलकर सामने आ रहा है। वो व्यक्ति जो जनता के बीच ‘डॉक्टर’ बनकर घूमता रहा, उसकी पढ़ाई-लिखाई का कोई पक्का सबूत ही नहीं है। “ऊँची दुकान, फीके पकवान”—नेता जी की डिग्री बस नाम की है, असल में तो वह आरोपों के आधार पर एक जमीन हड़पने वाला भू माफिया निकले।  सत्ता का घमंड और पैसे का बल—इन दो धुरी पर बिंद की राजनीति का खेल चलता रहा। क्यों की शिक्षा के नाम पर धोखा, जनता के साथ खिलवाड़ आरटीआई से खुलासा हुआ है कि रमेश बिंद की शैक्षिक योग्यता वह नहीं है, जो उन्होंने दावा की थी। ‘डॉक्टर’ का तमगा बस उनके नाम के आगे एक दिखावा है। “खोदा पहाड़, निकली चुहिया”—उनकी डिग्री का रहस्य सामने आते ही जनता को समझ में आ गया कि ये नेता डॉक्टर नहीं, बल्कि एक झूठ फैला रहा है।

रमेश बिंद, वही नेता जो कभी ब्राह्मणों के शिखा और जनेऊ देखकर आगबबूला हो जाते थे, अब खुद अपनी नकली डॉक्टर की डिग्री और भू-माफिया के तौर-तरीकों से अपनी असली पहचान उजागर कर चुके हैं। ‘डॉक्टर’ का फर्जी तमगा लगाने वाला ये नेता, जिसकी शैक्षिक योग्यता पर खुद आरटीआई ने सवाल खड़े कर दिए हैं, दरअसल सत्ता का दुरुपयोग कर जमीनों पर कब्जा करने के खेल में लिप्त रहा है।

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!!नेता का चेहरा और माफिया का खेल!!
कई पीड़ितों ने आरोप लगाए हैं कि रमेश बिंद और उनके गुर्गे, जिनका काम ‘नेता जी’ के इशारे पर होता है, ने सट्टा और सत्ताधारी प्रभाव का फायदा उठाकर उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया। “साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे”—बिंद ने सत्ता का ऐसा खेल खेला कि पीड़ितों की शिकायतें भी दब गईं और उनकी जमीनें भी कब्जे में आ गईं। नेता का चेहरा, माफिया का खेल कहते हैं ना की “बंदर के हाथ में उस्तरा”—जब सत्ता ऐसे लोगों के हाथ लगती है, जो खुद को कानून से ऊपर समझते हैं, तो अंजाम सिर्फ तबाही होता है। बिंद ने अपनी राजनीतिक पारी में न सिर्फ जनता को गुमराह किया, बल्कि सत्ता का ऐसा दुरुपयोग किया कि कई मासूम लोगों की जिंदगी फर्जी मुकदमे और प्रभाव से बर्बाद कर दिया।
!!कभी बसपा, तो कभी बीजेपी और फिर सपा :–सत्ता बदलते ही खेल के नियम बदलते हैं !!
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रमेश बिंद ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए पार्टियां बदलीं जैसे कपड़े बदलते है। बसपा से शुरुआत कर तीन बार मझवा से विधायक बने, फिर 2019 में भाजपा में शामिल होकर भदोही से सांसद बने। 2024 में टिकट कटने पर वे सपा में चले गए और मिर्जापुर से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। बिंद की राजनीति में निष्ठा केवल अपने स्वार्थ के प्रति रही, जिससे वे कभी किसी एक पार्टी के वफादार नहीं बन सके।हर पार्टी में सिर्फ अपने फायदे के लिए हाथ मिलाया, जहाँ सत्ता का यह छलिया खेल उन्हें कहीं भी स्थायी सफलता नहीं दिला पाया। लेकिन अब अपने राजनीतिक कैरियर को बचाने के लिए सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उप विधानसभा चुनाव में अपनी बेटी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं।

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