NCERT की किताबों से हटाए गए गांधी, गोडसे और संघ से जुड़े फैक्ट, आखिर क्या है वजह?

NCERT ने किताबों से महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के कुछ फैक्ट हटाए- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO
NCERT ने किताबों से महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के कुछ फैक्ट हटाए

इस साल नए सत्र के लिए NCERT की नई किताबें आ चुकी हैं। पिछले साल NCERT ने अलग-अलग विषयों की किताबों से कई चैप्टर और तथ्य हटाए थे। NCERT द्वारा किए गए इन बदलावों के साथ अब यह नई किताबें छात्रों को पढ़ाई जानी हैं। ऐसे ही एक बड़े बदलाव के अंतर्गत एनसीईआरटी ने कक्षा 12 की किताब में से वह तथ्य भी हटा दिए हैं जिसमें कहा गया था कि महात्मा गांधी की हिंदू मुस्लिम एकता की खोज ने हिंदू चरमपंथियों को उकसाया। साथ ही वह पैराग्राफ भी हटा दिए गए हैं जिसमें महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगाने की जानकारी दी गई है।

पिछली साल हटाए थे गुजरात दंगों और मुगल साम्राज्य के चैप्टर

गौरतलब है कि बीते साल NCERT ने पाठ्य पुस्तकों से गुजरात दंगों का संदर्भ और मुगल साम्राज्य आदि चैप्टर हटाए थे। NCERT ने छठी से 12वीं कक्षा तक अलग-अलग किताबों में कई बदलाव किए हैं। कक्षा 12वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट्स और एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटाया गया है। इसी प्रकार कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक ‘लोकतांत्रिक राजनीति-2’ से ‘लोकतंत्र और विविधता’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’, ‘लोकतंत्र की चुनौतियां’ पर चैप्टर हटा दिए गए हैं। इनमें कांग्रेस, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के प्रभुत्व के बारे में बताया गया था। 

NCERT ने किताबों में क्यों किए ये बदलाव
वहीं, 10वीं कक्षा की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ भी हटा दिए गए हैं। नेशनल कॉउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के 12वीं कक्षा के इतिहास की किताब में लगभग 15 वर्षों तक गोडसे की जाति का जिक्र था, जिसे अब हटा दिया गया है। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पाठ्य पुस्तकों में पुणे के एक ब्राह्मण के रूप में संदर्भित किया गया था। इसे भी अब एनसीईआरटी की किताबों से हटा दिया गया है। एनसीईआरटी के मुताबिक उन्हें लंबे समय से सीबीएसई और अधिकांश राज्य शिक्षा बोडरें द्वारा इस संदर्भ में शिकायतें मिल रही थीं। शिकायतों में कहा गया था कि, स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में किसी की जाति का अनावश्यक रूप से उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए। एनसीईआरटी के मुताबिक इन्हीं शिकायतों को देखते हुए यह बदलाव किया गया है।

बदलाव को लेकर सरकार ने संसद में क्या कहा
गौरतलब है कि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में किए गए बदलाव को लेकर सरकार द्वारा संसद में भी बयान दिया जा चुका है। इस मामले में शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के संशोधन पर शिवसेना सांसद अनिल देसाई के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि महामारी के कारण स्कूली शिक्षा के नुकसान को ध्यान में रखते हुए छात्रों के तनाव और भार को कम करने के लिए पुस्तकों के सिलेबस को तर्कसंगत किया गया था। 

क्या किसी खास विचारधारा की वजह से हटाया?
इन बदलावों पर एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी का कहना है कि जैसा कि हमने पिछले साल भी समझाया था, कोविड महामारी के कारण छात्रों में सीखने का बहुत नुकसान हुआ है। तनावग्रस्त छात्रों की मदद करने के लिए और समाज और राष्ट्र के प्रति एक जिम्मेदारी के रूप में, यह महसूस किया गया कि पाठ्यपुस्तकों का भार कम किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एनसीईआरटी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है कि बदलाव एक खास विचारधारा के अनुरूप किए गए हैं।

ये भी पढ़ें-

प्री-स्कूल में मासूमों के साथ करती थीं बेरहमी, महिला टीचरों के खिलाफ केस दर्ज, CCTV वीडियो देखकर सब हैरान

दिल्ली में बंद पड़े MCD स्कूल कॉम्प्लेक्स में रेप, मासूम की इज्जत के साथ घर भी लूटा  
 

Latest India News

Source link

marketmystique
Recent Posts