Chandauli News :- राम तोड़े धनुष और सीता माता से किये विवाह , अगस्तीपुर के मेले में हजारों दर्शको का आना हुआ , राम जी की छवि को दर्शाया गया 

Chandauli News :- राम तोड़े धनुष और सीता माता से किये विवाह , अगस्तीपुर के मेले में हजारों दर्शको का आना हुआ , राम जी की छवि को दर्शाया गया

 

Chandauli : सोमवार के रात में अगस्तीपुर के रामलीला मैदान में हो रहे रामलीला को देखने के लिए हजारों दर्शक आये । राम जी की लीला देश में सबको पता होगा जो अपने आप में एक मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम किस तरह मिलता राज्य को पिता के वचन को निभाने के लिए वनवास के तरफ चल दिये ।

आज अगस्तीपुर में राम जी धनुष तोड़ कर सीता जी से विवाह करने के लिए आगे बढ़े । लेकिन उससे पहले आपको बता दु की

अगस्तीपुर में रामलीला के मैदान में एक दृश्य हुआ जो धनुष यज्ञ हुआ । जिसमे राम जी को छोड़ काफ़ी राज्य और देश के राजा सामने आये और उन्हे सीता जी से विवाह के लिए चुनौती डी गई की शिव जी के धनुष को उठा कर तोड़ना होगा तब जा कर सीता जी से विवाह होगा ।

किसी भी राज्य और देश के राजाओं में दम ही नहीं दिखा जो शिव भगवान के धनुष को उठा सके । जब कोई राजा धनुष उठा नहीं सका तो मिथला के राजा यह कहते हुए कहा की “ क्या कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो मेरी बेटी के लायक हो ? ” तभी लक्ष्मण जी उठे और कहे की ऐसा कोई धनुष नहीं जो उठा और चला सके । तभी राम जी और लक्ष्मण जी के गुरु कहे की हे मिथला नरेश मेरे साथ आये युवाओं को कैसे आप छोड़ सकते है । उन्हे भी एक मौका दीजिये । तभी मिथला नरेश जी ने राम और लक्ष्मण जी को चुनौती दिया और कहा की अगर आप में हिमत होगा तो आप धनुष प्रतियोगिता में हिस्सा लीजिये और हमारे बेटी सीता से विवाह करिये ।

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राम जी धनुष के तरफ आगे बढ़े और वह शिव जी के धनुष को प्रणाम कर के उठा कर तोड़ भी दिये जो सीता जी और देश और राज्य के राजाओं में काफ़ी अचंभव पैदा हुआ की कैसे एक युवा शिव की धनुष को उठा कर तोड़ भी दिया । लेकिन कब धनुष टूटा तो पशुराम जी काफ़ी करोधित होकर मिथला नरेश के कार्यक्रम में पहुचे और कहे की कौन है वह व्यक्ति जो मेरे ईश्वर का धनुष तोड़ दिया तभी लक्ष्मण जी उठते हुए कहे की हे ऋषि मुनी मेरे भैया श्री राम जी में धनुष को तोड़ा । तभी पशुराम भगवान ने राम से युद्ध का नेवता दिया और लक्ष्मण जी ने नेवता को स्वीकार किया और कहा क्षत्रिय धर्म है की कोई चुनौती दे और हम स्वीकार न करे ऐसा हो नहीं सकता । तभी राम जी के गुरु सामने आये और उन्होंने उनके मन में ही सारी बाते कह गये और पशुराम जी वापस चले गये । राम जी और सीता जी का विवाह सम्पन्न हुआ ।

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