मिर्जापुर:दुर्गाबाजार में गणेश चतुर्थी का भव्य उत्सव: भक्ति, संस्कृति और एकता का संगम—11 सितंबर 2024 की रात 8 बजे से मिर्जापुर की पारंपरिक कजरी और बिरहा गीतों की बिखरेगी मिठास

11 सितंबर 2024 की रात 8 बजे से मिर्जापुर की पारंपरिक कजरी और बिरहा गीतों की बिखरेगी मिठास

11 सितंबर 2024 की रात 8 बजे से मिर्जापुर की पारंपरिक कजरी और बिरहा गीतों की बिखरेगी मिठास

स्वतंत्र पत्रकारचंदन दुबे

दुर्गा बाजार के पंडाल में बैठे विघ्नहर्ता

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दुर्गाबाजार में गणेश चतुर्थी का भव्य उत्सव: भक्ति, संस्कृति और एकता का संगम

दुर्गाबाजार में नवयुवक गणेश समिति द्वारा गणेश चतुर्थी का आयोजन, पूरे क्षेत्र में उत्साह और भक्ति का अद्भुत माहौल लेकर आया। भगवान गणेश की भव्य मूर्ति स्थापना के साथ ही श्रद्धालुओं ने धार्मिक आस्था में डूबकर उत्सव में भाग लिया। समिति के प्रमुख सदस्य, आशीष गुप्ता, ईश्वर यादव, अनुप गुप्ता और दौलत यादव ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भक्ति गीतों और नृत्य में दिखा ईश्वर का रूप
कार्यक्रम की खास बात बच्चों की झांकी और नृत्य रही, जिसने समस्त उपस्थित जनों का दिल जीत लिया। काव्या साहू, समीक्षा साहू, नंदिनी यादव, शैलजा यादव, चंचल यादव, लाडो यादव और कूहू साहू ने भक्ति गीतों पर नृत्य किया। उनके मासूम नृत्य और भक्ति-भाव से सजी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। भक्ति गीतों की धुनों ने सभी को ऐसा महसूस कराया, जैसे वे साक्षात भगवान गणेश के दर्शन कर रहे हों। यह नन्हे कलाकारों का समर्पण ही था, जिसने कार्यक्रम को और भी भक्तिमय और रंगीन बना दिया।

लोक संस्कृति का आयोजन: कजरी और बिरहा
इस उत्सव की खास बात यह है कि 11 सितंबर 2024 को रात 8 बजे से कजरी और बिरहा जैसे पारंपरिक गीतों का कार्यक्रम रखा गया है। इसका उद्देश्य मिर्जापुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ना है। इस सांस्कृतिक पहल ने कार्यक्रम को और भी आकर्षक बना दिया, जिससे लोग अपनी संस्कृति से जुड़कर गर्व महसूस कर रहे हैं।

सामाजिक एकता और सामूहिक प्रयास का प्रतीक
इस आयोजन ने न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण संदेश दिया। नवयुवक गणेश समिति के सामूहिक प्रयासों ने समाज में एकता और सहयोग की भावना को मजबूत किया। यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक बना कि जब लोग मिलजुल कर किसी काम में योगदान करते हैं, तो समाज में भाईचारे की भावना प्रबल होती है।

समर्पण और भक्ति का पर्व
गणेश चतुर्थी का यह आयोजन केवल भगवान गणेश की आराधना तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज को एकजुट करने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बना। इस तरह के आयोजनों से धार्मिक आस्था के साथ-साथ समाज में एकता, सहयोग और समर्पण की भावना भी बढ़ती है, जो हमारे समाज की ताकत और आधार है।

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