मीरजापुर: प्रधान के गुर्गे की गुंडई रंगदारी और SCST के केस में फसाने की धमकी

धमाकेदार खुलासा: मृतक आश्रित धनराशि पर रंगदारी का काला खेल, ग्राम प्रधान के गुर्गे की गुंडई का पर्दाफाश स्वतंत्र पत्रकार चंदन दुबे ☎️8299851905☎️ एससी एसटी केस में फसाने का दिया धमकी ग्राम प्रधान परवाराजधर महेंद्र बहादुर का सहयोगी गुर्गा विनोद् सरोज मांग रहा है रंगदारी जिसका प्रमाण मौजूद मिला राष्ट्रीय हिंदी दैनिक परफेक्ट मिशन के कार्यकारिणी संपादक घनश्याम ओझा के भतीजे को मिली जान से मारने की धमकी

धमाकेदार खुलासा: मृतक आश्रित धनराशि पर रंगदारी का काला खेल, ग्राम प्रधान के गुर्गे की गुंडई का पर्दाफाश

स्वतंत्र पत्रकार चंदन दुबे
☎️8299851905☎️

एससी एसटी केस में फसाने का दिया धमकी


ग्राम प्रधान परवाराजधर महेंद्र बहादुर का सहयोगी गुर्गा विनोद् सरोज मांग रहा है रंगदारी जिसका प्रमाण मौजूद मिला

राष्ट्रीय हिंदी दैनिक परफेक्ट मिशन के कार्यकारिणी संपादक घनश्याम ओझा के भतीजे को मिली जान से मारने की धमकी

मिर्जापुर। **कहावत ‘एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी’** को चरितार्थ करते हुए मिर्जापुर जिले में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक विधवा के लिए सरकार की ओर से मिली मृतक आश्रित धनराशि पर रंगदारी वसूली का घिनौना खेल खेला जा रहा है। ग्राम प्रधान परवा राजधर महेंद्र बहादुर का कथित सहयोगी विनोद सरोज ने न केवल विधवा से पांच हजार रुपये की मांग की, बल्कि उसकी जान-माल की एससीएसटी के फर्जी मुकदम्मा की धमकी भी दी।

मामला यह है: अभिषेक कुमार ओझा के पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां दुर्गावती के खाते में किसान बीमा योजना के तहत सरकारी धनराशि आई। लेकिन यह पैसा उसके हक में आने से पहले ही विनोद सरोज ने अपना हिस्सा मांगना शुरू कर दिया। सरोज का दावा है कि यह पैसा उसकी पैरवी का नतीजा है और इसके बदले उसे पांच हजार रुपये चाहिए। इस धमकी भरे रवैये से तंग आकर अभिषेक ने स्थानीय पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है।

बेशर्मी की इंतहा: आरोप केवल यहीं तक सीमित नहीं रहा। 1 सितंबर को, विनोद सरोज ने अभिषेक को सरैया विद्या पब्लिक स्कूल के पास रोककर गालियां देते हुए लहपटा चलाया और फिर उसकी जेब से जबरन छह हजार रुपये छीन लिए। यह पूरी घटना न केवल कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाती है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनहीनता की चरम सीमा को भी दर्शाती है।

धमकी और दबंगई: विनोद सरोज यहीं नहीं रुका। उसने अभिषेक को एससी/एसटी एक्ट में फंसाने की धमकी भी दी। यह साबित करता है कि कैसे कानून का दुरुपयोग कर भ्रष्ट लोग निर्दोषों को प्रताड़ित कर रहे हैं। बावजूद इसके कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत पीड़ित के पास पर्याप्त प्रमाण और सबूत मौजूद हैं, आरोपी सरोज का दबदबा और रंगदारी जारी है।

प्रशासन की नींद: सवाल यह उठता है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, स्थानीय पुलिस ने अब तक आरोपी पर कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या पुलिस प्रशासन जानबूझकर इस मामले को नजरअंदाज कर रहा है, या फिर भ्रष्टाचार की चादर इतनी घनी है कि सच को देखने की कोशिश भी नहीं की जा रही?

असली चुनौती: यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि समाज के उस तबके का भी है जो अक्सर दबंगों के आगे घुटने टेकने को मजबूर होता है। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इस प्रकार की रंगदारी वसूली का चलन न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है, बल्कि समाज में न्याय की साख पर भी सवाल खड़े करता है।

अंतिम शब्द: यह समय है जब न्याय की आवाज़ को बुलंद किया जाए और प्रशासनिक तंत्र को चेताया जाए कि वे अपनी जिम्मेदारी से मुंह न मोड़ें। अगर समय रहते इस मामले में कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह एक और उदाहरण बनेगा कि कैसे कानून के रक्षक ही उसे भक्षक बनने में देर नहीं करते।
मिर्जापुर की इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि जब तक न्यायिक और प्रशासनिक सुधार नहीं होते, तब तक गरीब और पीड़ित लोगों का शोषण जारी रहेगा। यह मामला अब और दबाया नहीं जा सकता—सभी की नजरें अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर हैं।

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