हुनर को मंज़िल की मोहताज नहीं :मीरजापुर की बेटियों ने कबड्डी में रचा इतिहास

  1. मीरजापुर के दो दिग्गजों की राष्ट्रीय टीम में चयन, गांव में खुशी की लहर

पत्रकार प्रद्युम्न बाबा

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मीरजापुर जिले के छोटे से गांव कुड़ी राजगढ़ की दो सगी बहनें, अनिता और कुशुम, ने अपने हुनर और मेहनत से वो कारनामा कर दिखाया है जो बड़े-बड़े शहरों में भी कम ही देखने को मिलता है। विंध्याचल मंडल के पी.एम. श्री राजकीय इंटर कॉलेज, मीरजापुर के खेल मैदान में आयोजित 68वीं माध्यमिक विद्यालयीय प्रदेशीय बालक-बालिका कबड्डी प्रतियोगिता 2024 में, इन बहनों ने ऐसा दमखम दिखाया कि अब वो राष्ट्रीय कबड्डी टीम का हिस्सा बनने जा रही हैं।

अनिता, जो किसान इंटर कॉलेज में कक्षा 9 की छात्रा हैं, और कुशुम, जो राम सुरत मालती इंटर कॉलेज में कक्षा 11 में पढ़ती हैं, ने इस प्रतियोगिता में न केवल अपने स्कूल और जिले का मान बढ़ाया, बल्कि पूरे क्षेत्र को गर्व महसूस करवाया है। कहते हैं, “पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं,” और ये कहावत इन बहनों पर सटीक बैठती है। छोटी उम्र में ही इन दोनों ने जिस लगन और जोश के साथ खेला, उसने सभी को प्रभावित कर दिया।

कबड्डी, जो अब सिर्फ गांव की गलियों का खेल नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी पहचान बना चुका है, उसमें मीरजापुर की बेटियों का नाम जुड़ना बड़ी बात है। गांव के लोग इन्हें देखकर फूले नहीं समा रहे हैं, क्योंकि “जहां चाह, वहां राह” की कहावत को इन बहनों ने साकार कर दिखाया है।

प्रतियोगिता का आयोजन 9 से 13 सितंबर 2024 तक हुआ, जिसमें प्रदेश भर से बालक और बालिका टीमें भाग लेने आई थीं। अनिता और कुशुम ने अपने दमखम से मैदान में ऐसा जलवा बिखेरा कि अब वो राष्ट्रीय कबड्डी टीम में खेलेंगी। इनके खेल में न केवल तकनीक दिखी, बल्कि वो जज्बा और जुनून भी था, जो एक खिलाड़ी को ऊंचाइयों तक ले जाता है।

गांव के लोगों का कहना है कि “असली खिलाड़ी वही होता है जो हालातों से लड़कर जीतता है,” और इन बहनों ने गरीबी और सीमित संसाधनों के बावजूद कभी हार नहीं मानी। आज उनकी मेहनत रंग लाई और पूरे गांव के लोग उनके चयन पर गर्व महसूस कर रहे हैं।

कबड्डी प्रतियोगिता में मीरजापुर मंडल के अन्य खिलाड़ी भी सराहे गए, लेकिन अनिता और कुशुम ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में ये दोनों बहनें अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत का नाम रोशन करेंगी।

मीरजापुर के इस छोटे से गांव की ये दो बेटियां पूरे देश के लिए एक प्रेरणा हैं, जो साबित करती हैं कि “हौसले बुलंद हों तो मुश्किलें भी घुटने टेक देती हैं।”

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