मिर्जापुर: कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा:—गंगा के किनारे बसे मकानों पर मंडराता खतरा, प्रशासन की अनदेखी से बढ़ रही चिंता

स्वतंत्र पत्रकार चंदन मानव☎️8299851905☎️

 

गंगा की लहरों में बह जाएंगी जिंदगियां, और प्रशासन सो रहा गहरी नींद – अब जागो वरना पछताओगे!”

 

मिर्जापुर: प्रशासन की सुस्ती, गंगा का उफान, और तिवारणी टोला के मकानों पर मंडराता विनाश का खतरा

**”गंगा की लहरों में बह जाएंगी जिंदगियां, और प्रशासन सो रहा गहरी नींद – अब जागो वरना पछताओगे!”**

 

मिर्जापुर:—एक कहावत है की ,”आग लगे बस्ती में और प्रशासन सोता रहे मस्ती में।” मिर्जापुर के गंगा किनारे बसे तिवारणी टोला के मकानों पर यह कहावत पूरी तरह से फिट बैठती है। क्यों की गंगा की लहरें हर साल बढ़ रही हैं, लेकिन ना तो नगर पालिका प्रशासन का कान खड़ा हो रहा है, और ना ही जिला प्रशासन की आंख खुल रही है। अगर पूर्व में जनता के द्वारा की गई गलतियों को समय रहते अगर नही देखा गया  प्रशासनिक जिम्मेदारियां नहीं निभाई गई तो आम जनता की स्थिति ना नाव में बैठे हैं, न किनारे पर खड़े हैं, बीच मझधार में फंसे लोग अब भरोसे पर जी रहे हैं।”

तिवारणी टोला के लोग आज गंगा के बढ़ते जलस्तर को देख-देख कर हर पल डर में जी रहे हैं। इस दौरान लगातार हो रहे  बरसात के मौसम में इनकी नींद हर लहर के साथ टूटती नजर आ रही है, जैसे मौत का कोई सायरन हो। मकान ऐसे हैं कि “आज खड़े हैं, कल बह जाएंगे”,यह चिन्ता का विषय बना है। बता दें की प्रमुखसमस्या यह की मकान एकदम गंगा की कटान के किनारे पर है जहां धीरे-धीरे कई मकानों की न्यू से मिट्टी खसक चुकी है कहीं ऐसा ना हो कि प्रशासन को समय ना मिले वही एक नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय लोग का कहना है की अब तक शासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया , एक नज़र भी नहीं डाली गई। सवाल ये है कि आखिर कब तक प्रशासन नींद में रहेगी? क्या तब तक जब तक पूरा मोहल्ला गंगा में बह न जाए?

अगर समय रहते प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया, तो तिवारणी टोला का यह संकट एक बड़ी त्रासदी में बदल सकता है। “बाढ़ का पानी चुपचाप आता है, पर तबाही करके लौटता है,” और यह बात प्रशासन जितनी जल्दी समझे उतना बेहतर होगा। नगर पालिका और जिला प्रशासन की संयुक्त अनदेखी से तिवारणी टोला के लोगों के लिए कयामत का दिन करीब आ रहा है।  

प्रशासन की हालत ऐसी है कि “जब सिर पर मुसीबत आती है, तभी आंख खुलती है,” लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। यहां भी यही हो रहा है। अभी तक किसी ने मकानों की जर्जर हालत पर ध्यान नहीं दिया, और न ही गंगा की बढ़ती धारा पर कोई एहतियाती कदम उठाया गया है। नगर पालिका से लेकर जिला प्रशासन तक, सब “साफ दामन” लेकर बैठने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता जानती है कि ये उनकी ही लापरवाही का नतीजा है।

लोगों का कहना है कि अगर तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की गई तो अगली बरसात तक उनके मकान गंगा की गोद में समा जाएंगे। यही नहीं, मकान ही नहीं, जिंदगियां भी दांव पर लगी हैं। “जिंदा हैं मगर कब तक, ये किसी को नहीं पता!” 

अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन और नगर पालिका अपनी नींद से जागें और जिम्मेदारी निभाएं। वरना जिस दिन गंगा की लहरें तिवारणी टोला को अपने में समेट लेंगी, उस दिन प्रशासन के पास सिर्फ अफसोस और सफाई देने के सिवा कुछ नहीं बचेगा। फिर यही कहा जाएगा, ‘जब लाठी टूट गई तब सांप पकड़ने चले’।”

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