यह कविता धीरेंद्र प्रताप सिंह जी की बहुत ही सुंदर रचना है, जिसमें जीवन की गहराइयों, संघर्षों, और सच्चाइयों का बेहद भावुक और सजीव चित्रण किया गया है। कविता में न सिर्फ़ इंसान की आंतरिक यात्रा और भावनाओं को उजागर किया गया है, बल्कि सामाजिक संबंधों और जीवन के यथार्थ का भी बारीकी से वर्णन हुआ है।
जीवन की दौड़, रिश्तों की जद्दोजहद, सुकून की तलाश, और समय के साथ बदलते अनुभवों को जिस तरह से इस कविता में व्यक्त किया गया है, वह हर पाठक को भीतर तक छू लेता है।
धीरेंद्र जी ने सरल भाषा में गहरी बातें कही हैं, जो बार-बार पढ़ने को प्रेरित करती हैं।
**ख्वाहिश नहीं, मुझे मशहूर होने की,**
**आप मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है।**
**अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे,**
**जिसकी जितनी जरूरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।**
**जिन्दगी का फलसफा भी कितना अजीब है,**
**शामें कटती नहीं और साल गुजरते चले जा रहे हैं।**
**एक अजीब सी दौड़ है ये जिन्दगी,**
**जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं और हार जाओ तो, अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।**
**बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर, मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।**
**मैंने समंदर से सीखा है जीने का तरीका,**
**चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।**
**ऐसा नहीं कि मुझमें कोई ऐब नहीं है,**
**पर सच कहता हूँ मुझमें कोई फरेब नहीं है।**
**जल जाते हैं मेरे अंदाज से मेरे दुश्मन,**
**एक मुद्दत से मैंने न तो मोहब्बत बदली और न ही दोस्त बदले हैं।**
**एक घड़ी खरीदकर हाथ में क्या बांध ली, वक्त पीछे ही पड़ गया मेरे!**
**सोचा था घर बनाकर बैठूँगा सुकून से,**
**पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला मुझे!**
**सुकून की बात मत कर, बचपन वाला इतवार अब नहीं आता!**
**जीवन की भागदौड़ में क्यों वक्त के साथ रंगत खो जाती है?**
**हँसती-खेलती जिन्दगी भी आम हो जाती है!**
**एक सबेरा था जब हँसकर उठते थे हम,**
**और आज कई बार, बिना मुस्कुराए ही शाम हो जाती है!**
**कितने दूर निकल गए रिश्तों को निभाते-निभाते,**
**खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते-पाते।**
**लोग कहते हैं हम मुस्कुराते बहुत हैं,**
**और हम थक गए दर्द छुपाते-छुपाते!**
**खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,**
**लापरवाह हूँ खुद के लिए मगर सबकी परवाह करता हूँ।**
**मालूम है कोई मोल नहीं है मेरा, फिर भी कुछ अनमोल लोगों से रिश्ते रखता हूँ।**
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!!इस कविता के प्रकाशन की मध्यम
पत्रकार तारा शुक्ला सोनभद्र है!!